जो संस्कृत जैसी की पुत्री है और सर्व रत्न की खान है।
वही हिन्दी अपनी अभागी संतानों से खो रही शान है।
पराई थाली में मुँह मारनेवालों ये बात दिल में बसालो।
ये मातृ भाषा ही तो हमारी विश्व में सच्ची पहचान है।
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
जो संस्कृत जैसी की पुत्री है और सर्व रत्न की खान है।
वही हिन्दी अपनी अभागी संतानों से खो रही शान है।
पराई थाली में मुँह मारनेवालों ये बात दिल में बसालो।
ये मातृ भाषा ही तो हमारी विश्व में सच्ची पहचान है।
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’